18 पुराणों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय

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18 purano ke naam

नारद पुराण के अनुसार प्राचीन काल में एक ही पुराण था जिसका विस्तार 100 करोड़ श्लोकों में था जो आज भी देवलोक में विद्यमान है। समयानुसार संसार में पुराणों का ग्रहण न होता देख भगवान विष्णु ने ब्रह्मवेत्ता महात्मा व्यास के रूप में प्रकट होकर सम्पूर्ण लोकों के हित के लिए चार लाख श्लोकों के पुराण का संग्रह किया और उसे 18 भागों में विभक्त करके 18 पुराणों की रचना की। इन 18 पुराणों के नाम ( 18 Puranas name in Hindi ) इस प्रकार हैं।

18 पुराणों के नाम : लिस्ट

1. ब्रह्म पुराण10. ब्रह्म वैवर्त पुराण
2. पद्म पुराण11. लिङ्ग पुराण
3. विष्णु पुराण12. वाराह पुराण
4. वायु पुराण13. स्कन्द पुराण
5. भागवत पुराण14. वामन पुराण
6. नारद पुराण15. कूर्म पुराण
7. मार्कण्डेय पुराण16. मत्स्य पुराण
8. अग्नि पुराण17. गरुड़ पुराण
9. भविष्य पुराण18. ब्रह्माण्ड पुराण

यहाँ पाठकों की जानकारी के लिए 18 पुराणों की संक्षिप्त विषय सूची दी गई है। नारद पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी अपने पुत्र ऋषि मरीचि को उपदेश देते हुए कहते हैं –

” ब्रह्मण, जो मनुष्य 18 पुराणों के नाम और उनकी विषय सूची का पाठ या श्रवण करता है वह भी समस्त पुराणों के पाठ या श्रवण का फल पा लेता है। ”

ब्रह्म पुराण ( Brahma Purana )

ब्रह्म पुराण सभी पुराणों में प्रथम है। वेदव्यास जी ने सबसे पहले दो भागों से युक्त ब्रह्म पुराण का ही संकलन किया।

श्लोक संख्या – 10 हजार
विषय सूची –

पूर्व भाग – देवताओं, असुरों और प्रजापतियों के उत्पत्ति की कथा, भगवान सूर्य के वंश का वर्णन , भगवान श्रीराम के अवतार की कथा , चन्द्रवंश का वर्णन और भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र ,

पृथ्वी के समस्त द्वीपों, पाताललोक और स्वर्गलोक का वर्णन , नरकों का वर्णन , पार्वती जी के जन्म तथा विवाह की कथा , दक्ष प्रजापति की कथा

उत्तर भाग – यमलोक का वर्णन तथा पितरों के श्राद्ध की विधि , वर्णों तथा आश्रमों के धर्मों का निरूपण , युगों का निरूपण , प्रलय का वर्णन , योग तथा सांख्य सिद्धान्तों का प्रतिपादन

पद्म पुराण ( Padma Purana )

पद्म पुराण पाँच खण्डों से युक्त है।

श्लोक संख्या – 55 हजार
विषय सूची –

सृष्टि खण्ड – महर्षि पुलस्त्य द्वारा भीष्म को सृष्टि की उत्पत्ति तथा इतिहास का उपदेश , पुष्कर तीर्थ का माहात्म्य , ब्रह्म यज्ञ की विधि , विभिन्न प्रकार के दान और व्रतों का निरूपण ,

पार्वती जी का विवाह , तारकासुर की कथा , गौमाता का माहात्म्य , कालकेय दैत्य का वध , ग्रहों के पूजन और दान की विधि

भूमि खण्ड – शिवशर्मा की प्राचीन कथा , सुव्रत की कथा , वृत्रासुर के वध की कथा , पृथु, वेन और सुनीथा की कथा , नहुष की कथा , ययाति चरित्र , राजा और जैमिनि संवाद ,

अशोक सुंदरी की कथा , हुण्ड दैत्य का वध , विहुण्ड दैत्य का वध , महात्मा च्यवन और कुञ्जल संवाद

स्वर्ग खण्ड – पृथ्वी सहित सम्पूर्ण लोकों की स्थिति और तीर्थों का वर्णन , नर्मदा जी की उत्पत्ति की कथा और उनके तीर्थों का वर्णन , कालिन्दी की कथा , काशी, गया और प्रयाग का माहात्म्य ,

वर्ण और आश्रम के अनुकूल कर्मों का निरूपण , व्यास – जैमिनी संवाद , समुद्र मंथन की कथा , भीष्मपञ्चक का माहात्म्य

पाताल खण्ड – श्रीराम का राज्याभिषेक , पुलस्त्य वंश का वर्णन , अश्वमेध का उपदेश , जगन्नाथजी की महिमा , वृन्दावन का माहात्म्य , श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन ,

वैशाख स्नान की महिमा , भूमि वाराह संवाद , दधीचि की कथा , शिव माहात्म्य , गौतम ऋषि की कथा

उत्तर खण्ड – भगवान शिव के द्वारा गौरी के प्रति कहा हुआ पर्वतोपाख्यान , जालन्धर की कथा , राजा सगर की कथा , अन्नदान का माहात्म्य , चौबीसों एकादशियों का माहात्म्य ,

विष्णुसहस्त्रनाम का वर्णन , कार्तिक व्रत का माहात्म्य , भगवान नृसिंह उत्पत्ति कथा , गीता माहात्म्य , श्रीमद्भागवत माहात्म्य , मत्स्य आदि अवतारों की पुण्यमयी कथा ,

इन्द्रप्रस्थ की महिमा , महर्षि भृगु के द्वारा भगवान विष्णु की परीक्षा

विष्णु पुराण ( Vishnu Purana )

विष्णु पुराण में सभी शास्त्रों के सिद्धांत का संग्रह हुआ है। इसमें वेदव्यास जी ने वाराहकल्प का वृत्तांत कहा है।

श्लोक संख्या – 23 हजार
विषय सूची –

पूर्व भाग – देवताओं की उत्पत्ति , समुद्र मंथन की कथा , प्रजापति दक्ष के वंश का वर्णन , ध्रुव तथा पृथु का चरित्र , प्रह्लाद की कथा , ब्रह्माजी के द्वारा देवता,

मनुष्य आदि वर्गों के प्रधान व्यक्तियों को अलग अलग राज्याधिकार दिए जाने का वर्णन , पृथ्वी, पाताल और नरकों का वर्णन ,

भरत चरित्र , निदाघ एवं ऋभु संवाद , मन्वन्तरों का वर्णन , वेदव्यास का अवतार , नरक से उद्धार का उपाय , सगर और और्व संवाद , श्राद्धकल्प तथा वर्णाश्रम धर्म , सदाचार निरूपण ,

मायामोह की कथा , सूर्यवंश की कथा , चन्द्रवंश का वर्णन , गोकुल की कथा , श्रीकृष्ण द्वारा पूतना आदि का वध , अघासुर वध , कंस वध , मथुरापुरी की लीला , द्वारका लीला ,

भगवान श्रीकृष्ण के अलग अलग विवाह की कथा , अष्टावक्र जी का उपाख्यान , कलियुग चरित्र , चार प्रकार के महाप्रलय का वर्णन , केशिध्वज के द्वारा जनक को ब्रह्मज्ञान का उपदेश

उत्तर भाग – अनेकों पुण्य व्रत , यम नियम , धर्मशास्त्र , अर्थशास्त्र , वेदान्त , ज्योतिष , स्तोत्र, मन्त्र आदि विद्याओं का वर्णन , वाराहकल्प का वृत्तान्त

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वायु पुराण ( Vayu Puran )

वायु पुराण में वायुदेव ने श्वेतकल्प के प्रसंग से धर्मों का उपदेश किया है इसलिए इसे वायुपुराण कहा गया है।

चूँकि वायु पुराण में भगवान शिव की कथाओं का ही विशेष रूप से वर्णन है इसलिए अन्य मान्यताओं से इसे शिव पुराण भी कहा जाता है। यह दो भागों से युक्त है।

श्लोक संख्या – 24 हजार
विषय सूची –

पूर्व भाग – अलग अलग मन्वन्तरों में राजाओं के वंश का वर्णन , गयासुर के वध की कथा , अलग-अलग मासों (महिनों) का माहात्म्य , दानधर्म और राजधर्म का वर्णन , पृथ्वी, आकाश, पाताल में विचरने वाले जीवों का वर्णन

उत्तर भाग – शिवसंहिता , नर्मदाजी का माहात्म्य तथा उनके तीर्थों का विस्तार से वर्णन , भगवान शिव का चरित्र एवं लीला

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भागवत पुराण ( Bhagavata Purana )

भागवत पुराण ( श्रीमद्भागवत पुराण ) बारह स्कन्धों से युक्त है। इसमें विश्वरूप भगवान का ही प्रतिपादन किया गया है।

अलग मतों के अनुसार श्रीमद्देवीभागवत पुराण को ही 18 पुराणों में पाँचवाँ पुराण माना जाता है, इस विषय में विद्वान एकमत नहीं हैं।

श्लोक संख्या – 18 हजार
विषय सूची –

प्रथम स्कन्ध – व्यासजी तथा पाण्डवों का चरित्र , परीक्षित के जन्म की कथा

द्वितीय स्कन्ध – परीक्षित शुक संवाद , ब्रह्मा नारद संवाद , पुराण का लक्षण

तृतीय स्कन्ध – विदुर का चरित्र , मैत्रेय विदुर संवाद , महर्षि कपिल का सांख्य दर्शन

चतुर्थ स्कन्ध – सती चरित्र , ध्रुव का चरित्र , राजा पृथु की कथा , राजा प्राचीन बर्हिष की कथा

पञ्चम स्कन्ध – राजा प्रियव्रत और उनके पुत्रों का चरित्र , ब्रह्माण्ड के विभिन्न लोकों का वर्णन तथा नरकों की स्थिति

षष्टम स्कन्ध – अजामिल का चरित्र , दक्ष प्रजापति कृत सृष्टि का निरूपण , वृत्रासुर की कथा , मरुद्गणों का जन्म

सप्तम स्कन्ध – प्रह्लाद का चरित्र , वर्णाश्रम धर्म का निरूपण

अष्टम स्कन्ध – गजेन्द्रमोक्ष की कथा , समुद्र मन्थन , राजा बलि का प्रसंग , मत्स्यावतार चरित्र

नवम स्कन्ध – सूर्यवंश तथा चन्द्रवंश का वर्णन

दशम स्कन्ध – श्रीकृष्ण की बाल लीला , कुमारावस्था एवं किशोरावस्था की लीलाएँ , व्रज में निवास , द्वारका में निवास

एकादश स्कन्ध – नारद वसुदेव संवाद , यदु दत्तात्रेय संवाद , श्रीकृष्ण उद्धव संवाद , आपसी कलह से यादवों का संहार

द्वादश स्कन्ध – भविष्य के राजाओं का वर्णन , कलिधर्म का निर्देश , राजा परीक्षित के मोक्ष का प्रसंग , वेदों की शाखाओं का विभाजन , मार्कण्डेय जी की तपस्या , सूर्यदेव की विभूतिओं का वर्णन

नारद पुराण ( Narada Purana )

नारद पुराण में वेदव्यास जी ने बृहत्कल्प की कथा का आश्रय लिया है।

श्लोक संख्या – 25 हजार
विषय सूची –

पूर्व भाग – सूत शौनक संवाद , सृष्टि का संक्षेप वर्णन , महात्मा सनक का उपदेश , मोक्ष के उपायों का वर्णन , वेदांगों का वर्णन , शुकदेव जी की उत्पत्ति का प्रसंग ,

सनन्दन जी का नारद को उपदेश , सनत्कुमार मुनि का नारद जी को पशुपाशविमोक्ष का उपदेश ,

गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव और शक्ति आदि के मन्त्रों का शोधन , दीक्षा, मन्त्रोद्धार, पूजन, प्रयोग, कवच, सहस्त्रनाम और स्तोत्र का वर्णन , सनातन मुनि द्वारा नारद जी को पुराणों का लक्षण,

उनकी श्लोक संख्या, दान के अलग-अलग फल तथा उनके समय का उपदेश

उत्तर भाग – महर्षि वशिष्ठ द्वारा राजा मान्धाता को एकादशी व्रत का उपदेश , राजा रुक्मांगद की कथा , मोहिनी की उत्पत्ति , गंगा की कथा , गया यात्रा वर्णन , काशी माहात्म्य ,

कुरुक्षेत्र और हरिद्वार का माहात्म्य , कामोदा की कथा , बदरी तीर्थ का माहात्म्य , प्रभाष क्षेत्र की महिमा ,

पुष्कर क्षेत्र का माहात्म्य , गौतम मुनि की कथा , गोकर्ण क्षेत्र का माहात्म्य , लक्ष्मण जी की कथा , सेतु माहात्म्य , नर्मदा के तीर्थों का वर्णन , मथुरा वृन्दावन महिमा , अवन्तीपुरी की महिमा ,

वसु का ब्रह्मा जी के निकट जाना , मोहिनी का तीर्थों में भ्रमण

मार्कण्डेय पुराण ( Markandeya Purana )

मार्कण्डेय पुराण में पक्षियों को प्रवचन का अधिकारी बनाकर उनके द्वारा सब धर्मों का निरूपण किया गया है।

श्लोक संख्या – 9 हजार
विषय सूची –

मार्कण्डेय मुनि से जैमिनी के प्रश्नों का वर्णन , धर्मसंज्ञक पक्षियों के जन्म की कथा , बलभद्र जी की तीर्थयात्रा , द्रौपदी के पाँचों पुत्रों की कथा , हरिश्चंद्र की कथा , आडी और बक पक्षियों का युद्ध ,

पिता और पुत्र का उपाख्यान , दत्तात्रेय जी की कथा , हैहय चरित्र , अलर्क चरित्र , मदालसा की कथा , नौ प्रकार की सृष्टि का वर्णन , यक्ष सृष्टि निरूपण , रूद्र आदि की सृष्टि , मनुओं की कथा ,

दुर्गा जी की कथा , तीन वेदों के तेज से प्रणव की उत्पत्ति , सूर्यदेव के जन्म की कथा ,
वैवस्वत मनु के वंश का वर्णन , वत्सप्री का चरित्र , महात्मा खनित्र की कथा ,

राजा अविक्षित का चरित्र , किमिच्छिक व्रत का वर्णन , नरिष्यन्त चरित्र , इक्ष्वाकु चरित्र , नल चरित्र , श्रीरामचन्द्र जी की कथा , कुरु के वंश का वर्णन , सोमवंश का वर्णन , पुरुरवा की कथा ,

नहुष चरित्र , ययाति चरित्र , यदुवंश का वर्णन , श्रीकृष्ण की बाललीला एवं उनकी मथुरा और द्वारका की लीलाएँ , सभी अवतारों की कथाएँ , सांख्यमत का वर्णन , मार्कण्डेय जी का चरित्र , पुराण श्रवण का फल

अग्नि पुराण ( Agni Purana )

अग्नि पुराण में अग्निदेव ने महर्षि वशिष्ठ से ईशान कल्प का वर्णन किया है।

श्लोक संख्या – 15 हजार
विषय सूची –

पुराणों से प्रश्न , अवतारों की कथा , सृष्टि का प्रकरण , विष्णु पूजा का वर्णन , शालग्राम आदि की पूजा तथा मूर्तियों के अलग अलग चिन्हों का वर्णन , विभिन्न प्रकार की दीक्षाओं की विधि ,

सर्वदेव प्रतिष्ठा , ब्रह्माण्ड का वर्णन , गंगा आदि तीर्थों का माहात्म्य , ऊपर और नीचे के लोकों की रचना , ज्योतिश्चक्र का निरूपण , षट्कर्म , मन्त्र , यन्त्र , औषध समूह , कुब्जिका आदि की पूजा ,

छह प्रकार की न्यासविधि , विभिन्न आश्रमों के धर्म , श्राद्धकल्प विधि , ग्रहयज्ञ , प्रायश्चित वर्णन , तिथि व्रत आदि का वर्णन , वार व्रत का वर्णन , नक्षत्र व्रत विधि , मासिक व्रत , दीपदान विधि ,

नरक निरूपण , नाड़ीचक्र का वर्णन , संध्या विधि , गायत्री के अर्थ का निर्देश , लिङ्गस्तोत्र , राज्याभिषेक के मन्त्र का प्रतिपादन , राजाओं का धर्म , स्वप्न संबंधी विचार ,

शकुन आदि का निरूपण , रामोक्त निति का वर्णन , रत्नों के लक्षण , धनुर्विद्या , व्यवहार दर्शन , देवासुर संग्राम कथा , आयुर्वेद निरूपण , गज आदि की चिकित्सा , गो चिकित्सा ,

मनुष्य चिकित्सा , अनेक प्रकार के पूजा पद्धति , छन्दः शास्त्र , साहित्य , व्याकरण , प्रलय के लक्षण , वेदान्त का निरूपण , नरक वर्णन , योगशास्त्र , ब्रह्मज्ञान , पुराण श्रवण का फल

भविष्य पुराण ( Bhavishya Purana )

भविष्य पुराण पाँच भागों से युक्त है। इसमें नाना प्रकार की आश्चर्यजनक कथाओं से युक्त अघोरकल्प का वृत्तांत है।

श्लोक संख्या – 14 हजार
विषय सूची –

ब्रह्मपर्व – ब्रह्मा जी की महिमा , सूत शौनक संवाद में पुराणों से प्रश्न , सूर्यदेव का चरित्र , पुस्तक, लेखक और लेख्य का लक्षण , सब प्रकार के संस्कारों के लक्षण , पक्ष आदि सात तिथियों के सात कल्प

वैष्णवपर्व – भगवान विष्णु की महिमा , अष्टमी आदि तिथियों के आठ कल्प

शैवपर्व – भगवान शिव की महिमा

सौरपर्व – सूर्यदेव की महिमा

प्रतिसर्गपर्व – पुराणों के उपसंहार का वर्णन , भविष्य की कथाएँ

ब्रह्म वैवर्त पुराण ( Brahma Vaivarta Purana )

ब्रह्म वैवर्त पुराण चार खण्डों से युक्त है। इस पुराण में देवर्षि नारद के प्रार्थना करने पर भगवान सावर्णि ने सम्पूर्ण पुराणोक्त विषय का उपदेश किया था।

इसके पाठ और श्रवण से भगवान शिव और विष्णु में प्रीति होती है। उन दोनों में अभेद सिद्धि के लिए इस उत्तम ब्रह्म वैवर्त पुराण का उपदेश किया गया है।

श्लोक संख्या – 18 हजार
विषय सूची –

ब्रह्मखण्ड – सृष्टि वर्णन , नारद मुनि और ब्रह्मा जी का विवाद , नारद मुनि को शिवजी का उपदेश

प्रकृतिखण्ड – नारद सावर्णि संवाद , श्रीकृष्ण की महिमा , प्रकृति के अंशभूत कलाओं का माहात्म्य और पूजन

गणेशखण्ड – पार्वती जी के द्वारा पुण्यक नामक महाव्रत का अनुष्ठान , कार्तिकेय और गणेश जी की उत्पत्ति , कार्तवीर्य अर्जुन और परशुराम जी का चरित्र , गणेश – परशुराम विवाद

श्रीकृष्णखण्ड – श्रीकृष्ण के जन्म की कथा , उनका गोकुल गमन और पूतना आदि के वध की कथा , श्रीकृष्ण के बाल्यावस्था और कुमारावस्था की लीलाओं का वर्णन ,

श्रीकृष्ण की रासलीला का वर्णन , अक्रूर जी के साथ मथुरा गमन तथा कंस वध , सान्दीपनि मुनि से विद्याग्रहण की कथा , कालयवन वध , श्रीकृष्ण का द्वारका गमन , नरकासुर वध की कथा

लिङ्ग पुराण ( Linga Purana )

भगवान शंकर ने अग्निलिंग में स्थित होकर अग्निकल्प की कथा का आश्रय लेकर धर्म आदि की सिद्धि के लिए ब्रह्मा जी को जो उपदेश किया था उसी को वेदव्यास जी ने दो भागों में बाँटकर लिङ्ग पुराण की रचना की।

श्लोक संख्या – 11 हजार
विषय सूची –

पूर्व भाग – सृष्टि का वर्णन , योगाख्यान और कल्पाख्यान का वर्णन , लिङ्ग का प्रादुर्भाव और पूजा विधि , सनत्कुमार और शैल का संवाद , दधिचि चरित्र , सूर्यवंश और चन्द्रवंश का परिचय ,

त्रिपुर की कथा , लिङ्ग प्रतिष्ठा तथा पशुपाशविमोक्ष , भगवान शिव के व्रत , सदाचार निरूपण , प्रायश्चित , काशी तथा श्रीशैल का वर्णन , अन्धकासुर की कथा , वाराह चरित्र , नृसिंह चरित्र ,

जलन्धर वध की कथा , शिवसहस्त्रनाम , दक्ष यज्ञ विध्वंस , मदन दहन , पार्वती के पाणिग्रहण की कथा , विनायक की कथा , भगवान शिव के ताण्डव नृत्य का प्रसंग , उपमन्यु की कथा

उत्तर भाग – भगवान विष्णु का माहात्म्य , अम्बरीष की कथा , सनत्कुमार और नन्दीश्वर संवाद , शिव माहात्म्य , स्नान, याग आदि का वर्णन , सूर्यपूजा की विधि ,

मुक्तिदायिनी शिवपूजा का वर्णन , अनेक प्रकार के दानों का वर्णन , श्राद्ध प्रकरण और प्रतिष्ठातन्त्र का वर्णन , अघोर कीर्तन , व्रजेश्वरी महाविद्या , गायत्री महिमा , त्र्यम्बक माहात्म्य , पुराण श्रवण के फल का वर्णन

वाराह पुराण ( Varaha Purana )

वाराह पुराण दो भागों से युक्त है। पूर्वकाल में ब्रह्मा जी के द्वारा निर्मित जो मानवकल्प का प्रसंग है उसी को विद्वानों में श्रेष्ठ वेदव्यास जी ने इस पुराण में लिपिबद्ध किया है।

श्लोक संख्या – 24 हजार
विषय सूची –

पूर्व भाग – पृथ्वी और वाराह भगवान का संवाद , रैभ्य चरित्र , दुर्जय का चरित्र , श्राद्धकल्प का वर्णन , महातपा का आख्यान , गौरी की उत्पत्ति , विनायक, नागगण, कार्तिकेय, आदित्यगण,

देवी, धनद तथा वृष का आख्यान , सत्यतपा के व्रत की कथा , अगस्त्य गीता , रूद्र गीता , महिषासुर के विध्वंस में ब्रह्मा, विष्णु और रूद्र की शक्तियों का माहात्म्य ,

व्रत और तीर्थों की कथाएँ , बत्तीस अपराधों का शारीरिक प्रायश्चित , सभी तीर्थों के अलग अलग माहात्म्य , मथुरा की महिमा , श्राद्ध की विधि , यमलोक का वर्णन , गोकर्ण का माहात्म्य

उत्तर भाग – पुलस्त्य और पुरुराज संवाद , सम्पूर्ण धर्मों की व्याख्या , पुष्कर नामक पुण्य पर्व का वर्णन

स्कन्द पुराण ( Skanda Purana )

ब्रह्मा जी ने शतकोटि पुराण में जो शिव की महिमा का वर्णन किया है उसके सारभूत अर्थ का व्यासजी ने स्कन्द पुराण में वर्णन किया है। स्कन्द पुराण सात खण्डों से युक्त है।

श्लोक संख्या – 81 हजार
विषय सूची –

माहेश्वरखण्ड – केदार माहात्म्य , दक्ष यज्ञ की कथा , शिवलिङ्ग पूजन का फल , समुद्र मंथन की कथा , देवराज इन्द्र का चरित्र , पार्वती विवाह , कुमार स्कन्द की उत्पत्ति और तारकासुर के साथ

उनके युद्ध का वर्णन , पाशुपत का उपाख्यान , चण्ड की कथा , राजा धर्मवर्मा की कथा , नदियों और समुद्र का वर्णन , इन्द्रद्युम्न और नाड़ीजंघ की कथा , महीनदी का प्रादुर्भाव , दमनक की कथा ,

महीसागर संगम और कुमारेश का वृत्तान्त, तारकासुर वध , पञ्चलिङ्ग स्थापन कथा , द्वीपों का वर्णन , ऊपर के लोकों की स्थिति , ब्रह्माण्ड की स्थिति , महाकाल का प्रादुर्भाव ,

वासुदेव का माहात्म्य , पाण्डवों की कथा , बर्बरीक की सहायता से महाविद्या का साधन , अरुणाचल का माहात्म्य , सनक और ब्रह्माजी का संवाद , गौरी की तपस्या का वर्णन ,

महिषासुर वध की कथा , द्रोणाचल पर्वत पर भगवान शिव का नित्य निवास

वैष्णवखण्ड – भूमि वाराह संवाद , वेङ्कटाचल का माहात्म्य , कमला की पवित्र कथा , श्रीनिवास की स्थिति , कुम्हार की कथा , सुवर्णमुखरी नदी का माहात्म्य , भरद्वाज की कथा ,

मतङ्ग और अञ्जन संवाद , पुरुषोत्तम क्षेत्र का माहात्म्य , मार्कण्डेय जी की कथा , राजा अम्बरीष का वृत्तान्त , विद्यापति की कथा , जैमिनी और नारद संवाद , नीलकण्ठ और नृसिंह का वर्णन ,

अश्वमेध यज्ञ की कथा , जप तथा स्नान विधि , दक्षिणामूर्ति उपाख्यान , गुण्डिचा की कथा , भगवान के शयनोत्सव का वर्णन , राजा श्वेत का उपाख्यान , पृथु उत्सव ,

दोलोत्सव तथा सांवत्सरिक व्रत का वर्णन , भगवान विष्णु की निष्काम पूजा , योगों का निरूपण , दशावतार की कथा , बद्रिकाश्रम का माहात्म्य , गरुड़ शिला की महिमा , कपालमोचन तीर्थ ,

पञ्चधारा तीर्थ , मेरुसंस्थान की कथा , कार्तिक मास का माहात्म्य , मदनालस का माहात्म्य ,
धूम्रकेश का उपाख्यान , भीष्मपञ्चक व्रत का प्रतिपादन , मार्गशीर्ष स्नान की महिमा ,

भगवान विष्णु का पूजन और तुलसीदल का माहात्म्य , एकादशी व्रत माहात्म्य , नामकीर्तन माहात्म्य , मथुरा तीर्थ का माहात्म्य , श्रीमद्भागवत माहात्म्य , वज्रनाभ और शांडिल्य संवाद ,

माघ मास के स्नान , दान एवं जप का माहात्म्य , वैशाख माहात्म्य , शुकदेव चरित्र , व्याध की कथा , अक्षय तृतीया का वर्णन , अयोध्या माहात्म्य , अनेकों तीर्थों का वर्णन

ब्रह्मखण्ड – सेतु माहात्म्य , गालव की तपस्या तथा राक्षस की कथा , धनुषकोटि माहात्म्य , रामेश्वर की महिमा , सेतु यात्रा विधि वर्णन , धर्मारण्य का माहात्म्य ,

भगवान शिव का स्कन्द को तत्व का उपदेश , बकुलादित्य की कथा , लोहासुर की कथा , श्रीरामचन्द्र जी का चरित्र , वैष्णव धर्मों का वर्णन , चातुर्मास्य का माहात्म्य ,

दान, व्रत, तपस्या और पूजा की महिमा का वर्णन , शालग्राम महिमा , तारकासुर के वध का उपाय , गरुड़ पूजन की महिमा , शिव का ताण्डव नृत्य , शिवलिङ्ग पतन की कथा ,

पैजवन शूद्र की कथा , पार्वती जी का जन्म और चरित्र , तारकासुर का वध , प्रणव के एश्वर्य का कथन , द्वादशाक्षर मन्त्र का निरूपण , ज्ञानयोग का वर्णन , द्वादश सूर्यों की महिमा ,

भगवान शिव की महिमा , पञ्चाक्षर मन्त्र का माहात्म्य , गोकर्ण की महिमा , शिवरात्रि की महिमा , प्रदोष व्रत एवं सोमवार व्रत की महिमा , सीमन्तिनी की कथा , भद्रायु की उत्पत्ति एवं महिमा ,

शिवकवच का उपदेश , उमा महेश्वर व्रत की महिमा , रुद्राक्ष का माहात्म्य

काशीखण्ड – विन्ध्य पर्वत और नारद संवाद , सत्यलोक का प्रभाव , पतिव्रता चरित्र , सप्तपुरी का वर्णन , शिवशर्मा को सूर्य, इन्द्र तथा अग्नि के लोक की प्राप्ति , अग्नि का प्रादुर्भाव ,

वरुण की उत्पत्ति , गन्धवती, अलकापुरी और ईशानपुरी का उद्भव , चन्द्र, सूर्य, बुध, मंगल तथा बृहस्पति के लोक, ब्रह्मलोक, विष्णुलोक, ध्रुवलोक और तपोलोक का वर्णन ,

स्कन्द अगस्त्य संवाद , मणिकर्णिका की उत्पत्ति , गंगा जी का प्राकट्य , गंगासहस्त्रनाम , काशीपुरी की प्रशंसा , भैरव का आविर्भाव , दण्डपाणि तथा ज्ञानवापी का उद्भव , कलावती की कथा ,

स्त्री के लक्षण , गृहस्थ योगी के धर्म , दिवोदास की कथा , पञ्चनदतीर्थ की उत्पत्ति , बिन्दुमाधव का प्राकट्य , शूलधारी शंकर जी का काशी में आगमन , ओंकारेश्वर का वर्णन , व्यास जी की भुजाओं का स्तम्भन

अवन्तिखण्ड – महाकालवन का आख्यान , ब्रह्मा जी के मस्तक का छेदन , अग्नि की उत्पत्ति , शिवस्तोत्र , कपालमोचन की कथा , महाकालेश्वर, केदारेश्वर, रामेश्वर आदि तीर्थों का वर्णन ,

अन्धकासुर के द्वारा शिव स्तुति , शिप्रा स्नान का फल , नागों द्वारा भगवान शिव की स्तुति ,
हिरण्याक्ष वध , नाग पञ्चमी की महिमा , विष्णुसहस्त्रनाम , नर्मदा नदी का माहात्म्य ,

युधिष्ठिर मार्कण्डेय संवाद , कालरात्रि की कथा , गौरीव्रत का वर्णन , शची हरण की कथा , अभ्रक वध , दीर्घतपा की कथा , चित्रसेन की कथा , देवशिला की कथा , शबरी तीर्थ , धुन्धुमार का उपाख्यान

नागरखण्ड – लिङ्गोत्पत्ति का वर्णन , हरिश्चंद्र की कथा , विश्वामित्र का माहात्म्य , त्रिशंकु का स्वर्गलोक में गमन , वृत्रासुर वध , जमदग्नि वध की कथा ,

परशुराम द्वारा क्षत्रियों के संहार की कथा , दमयन्ती पुत्र त्रिजात की कथा , धर्मराज की कथा , जावालि चरित्र , मकरेश की कथा , ब्रह्मा का यज्ञानुष्ठान , सावित्री की कथा ,

साम्बादित्य की महिमा , युधिष्ठिर भीष्म संवाद , शिवरात्रि का माहात्म्य , निम्बेश्वर और शाकम्भरी की कथा , ग्यारह रुद्रों के प्राकट्य का वर्णन

प्रभासखण्ड – सोमनाथ, विश्वनाथ, अर्कस्थल तथा सिद्धेश्वर का वर्णन , नारायण के स्वरुप का निरूपण , तप्तकुण्ड की महिमा , चतुर्मुख गणेश तथा कलम्बेश्वर की कथा ,

मार्कण्डेय जी की उत्पत्ति कथा , श्री देवमाता की उत्पत्ति , व्यास और गौतम तीर्थ की कथा , उमा महेश्वर का माहात्म्य , जम्बूतीर्थ का महत्व , गंगाधर एवं मिश्रक की कथा ,

चंद्रशर्मा की कथा , एकादशी व्रत का माहात्म्य , प्रह्लाद और ऋषियों का समागम

वामन पुराण ( Vaman Puran )

वामन पुराण दो भागों से युक्त है। इसमें कूर्म कल्प के वृत्तांत का वर्णन है और त्रिवर्ण की कथा है।

श्लोक संख्या – 10 हजार
विषय सूची –

पूर्व भाग – ब्रह्मा जी के शिरश्छेद की कथा , कपालमोचन का आख्यान , दक्ष यज्ञ विध्वंस , प्रह्लाद नारायण युद्ध , देवासुर संग्राम , सुकेशी और सूर्य की कथा , श्रीदुर्गा चरित्र , कुरुक्षेत्र वर्णन ,

पार्वती जी के जन्म की कथा , कुमार चरित्र , अन्धक वध की कथा , जावालि चरित्र , अरजा की कथा , मरुद्गणों के जन्म की कथा , राजा बलि का चरित्र , लक्ष्मी चरित्र , धुन्धु चरित्र ,

नक्षत्र पुरुष की कथा , श्रीदामा का चरित्र , त्रिविक्रम चरित्र , प्रह्लाद बलि संवाद

उत्तर भाग – श्रीकृष्ण तथा उनके भक्तों का वर्णन , जगदम्बा के अवतार की कथा , सूर्य की महिमा , भगवान शिव तथा गणेश जी के चरित्र का वर्णन

कूर्म पुराण ( Kurma Purana )

कूर्म पुराण चार संहिताओं में विभक्त है। इसमें लक्ष्मी कल्प का वृत्तांत है।

इस पुराण में कूर्मरूपधारी श्रीहरि ने इन्द्रद्युम्न के प्रसंग से महर्षियों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का अलग अलग माहात्म्य सुनाया है।

श्लोक संख्या – 17 हजार
विषय सूची –

ब्राह्मी संहिता – लक्ष्मी इन्द्रद्युम्न संवाद , कूर्म और महर्षियों की वार्ता , वर्णाश्रम सम्बन्धी आचार , जगत की उत्पत्ति का वर्णन , काल संख्या का निरूपण , प्रलय के अंत में भगवान की स्तुति ,

शंकर जी का चरित्र , पार्वतीसहस्त्रनाम , योग निरूपण , भृगुवंश वर्णन , स्वायम्भुव मनु तथा देवताओं की उत्पत्ति , दक्ष यज्ञ का विध्वंस , दक्ष सृष्टि , कश्यप के वंश का वर्णन ,

अत्रिवंश का परिचय , श्रीकृष्ण का चरित्र , मार्कण्डेय श्रीकृष्ण संवाद , व्यास पाण्डव संवाद , व्यास जैमिनी की कथा , काशी एवं प्रयाग का माहात्म्य , तीनों लोकों का वर्णन , व्यास गीता , ईश्वरीय गीता

भागवती संहिता – चारों वर्णों की अलग अलग वृत्ति तथा कर्तव्य का निरूपण

सौरी संहिता – छह प्रकार के षट्कर्म सिद्धि

वैष्णवी संहिता – द्विजातियों के लिए उपदेश

मत्स्य पुराण ( Matsya Purana )

मत्स्य पुराण में वेदवेत्ता व्यासजी ने इस धरती पर सात कल्पों के वृत्तांत को संक्षिप्त करके कहा है।

श्लोक संख्या – 14 हजार
विषय सूची –

मनु मत्स्य संवाद , ब्रह्माण्ड का वर्णन , ब्रह्मा, देवता तथा असुरों की उत्पत्ति , मरुद्गण का प्रादुर्भाव , मदनद्वादशी , लोकपाल पूजा , मन्वन्तर वर्णन , राजा पृथु के राज्य का वर्णन ,

सूर्य और वैवस्वत मनु की उत्पत्ति , पितृवंश का वर्णन , सोम की उत्पत्ति तथा सोमवंश का वर्णन , राजा ययाति का चरित्र , कार्तवीर्य अर्जुन का चरित्र , भगवान विष्णु के दस अवतार ,

पुरुवंश का वर्णन , हुताशन वंश का वर्णन , प्रयाग माहात्म्य , ध्रुव की महिमा , पितरों की महिमा , चारों युगों की उत्पत्ति , वज्राङ्ग की उत्पत्ति , तारकासुर की उत्पत्ति , पार्वती का प्राकट्य ,

पार्वती जी का तपस्या द्वारा शिव को प्रसन्न करना , शिव पार्वती विवाह , कुमार कार्तिकेय का जन्म , कार्तिकेय द्वारा तारकासुर का वध , नृसिंह भगवान की कथा , अन्धकासुर वध ,

वाराणसी माहात्म्य , नर्मदा माहात्म्य , सावित्री की कथा , राजधर्म का वर्णन , ब्राह्मण और वाराह का माहात्म्य , समुद्र मंथन , कालकूट की शान्ति , वास्तु विद्या , प्रतिमा लक्षण , देव मंदिर निर्माण , भविष्य के राजाओं का वर्णन

गरुड़ पुराण ( Garuda Purana )

गरुड़ के पूछने पर गरुड़ासन भगवान विष्णु ने उन्हें तार्क्ष्यकल्प की कथा से युक्त गरुड़ पुराण सुनाया था। गरुड़ पुराण दो खण्डों से युक्त है।

श्लोक संख्या – 19 हजार
विषय सूची –

पूर्व खण्ड – सूर्य आदि के पूजन की विधि , दीक्षाविधि , श्राद्ध पूजा , नवव्यूह पूजा , विष्णुसहस्त्रनाम कीर्तन , अष्टाङ्गयोग, प्रायश्चित विधि , दान धर्म , नरकों का वर्णन , ज्योतिष , सामुद्रिक शास्त्र ,

गया का माहात्म्य , पितरों का उपाख्यान , वर्णधर्म , श्राद्धकर्म , ग्रहयज्ञ , जननाशौच , प्रेतशुद्धि ,
नीतिशास्त्र , विष्णु कवच , गरुड़ कवच , छंदशास्त्र , तर्पण , बलिवैश्वदेव , नित्यश्राद्ध ,

विष्णु महिमा , नृसिंह स्तोत्र , वेदान्त और सांख्य का सिद्धान्त

उत्तर खण्ड – धर्म का महत्व , यमलोक के मार्ग का वर्णन , षोडश श्राद्ध का फल , यमलोक के कष्ट से मुक्ति का उपाय , धर्मराज का वैभव , प्रेत की पीड़ाओं का वर्णन , प्रेतचिन्ह निरूपण ,

प्रेतत्व प्राप्ति का कारण तथा मुक्ति के उपाय , मोक्षसाधक दान , प्रेत को सुख देने वाले कार्यों का वर्णन , यमलोक वर्णन , मृत्यु से पहले के कर्तव्य का वर्णन , मृत्यु के बाद के कर्म का निरूपण ,

स्वर्ग प्राप्ति कराने वाले कर्म , सूतक की दिन संख्या , अकाल मृत्यु के अवसर पर किये जाने वाले कर्म , मोक्ष के लिए कर्तव्य तथा अकर्तव्य का विचार , भूलोक वर्णन ,

नीचे के सात तथा ऊपर के पाँच लोकों का वर्णन , ब्रह्म और जीव का निरूपण , आत्यन्तिक प्रलय का वर्णन

ब्रह्माण्ड पुराण ( Brahmanda Purana )

ब्रह्माण्ड पुराण के चार पाद हैं। यह पुराण भविष्यकल्पों की कथा से युक्त है।

श्लोक संख्या – 12 हजार
विषय सूची –

प्रक्रियापाद – कर्तव्य का उपदेश , नैमिष का आख्यान , हिरण्यगर्भ की उत्पत्ति और लोकरचना

अनुषंगपाद – कल्प और मन्वन्तर का वर्णन , मानुषी सृष्टि वर्णन , रूद्र सृष्टि वर्णन , प्रियव्रत वंश का परिचय , भारतवर्ष का वर्णन , जम्बू आदि सात द्वीपों का परिचय ,

नीचे के तथा ऊपर के लोकों का वर्णन , ग्रहों की गति का विश्लेषण , भगवान शिव के नीलकण्ठ नाम पड़ने का कारण , महादेव जी का वैभव , अमावस्या का वर्णन ,

युग के अनुसार प्रजा के लक्षण , स्वायम्भुव मन्वन्तर तथा शेष मन्वन्तर का निरूपण , पृथ्वी दोहन

उपोद्घातपादसप्तर्षियों का वर्णन , प्रजापति वंश का निरूपण , मरुद्गणों की उत्पत्ति , कश्यप की संतानों का वर्णन , वैवस्वत मनु की उत्पत्ति , मनु पुत्रों का वंश , इक्ष्वाकु वंश का वर्णन ,

महात्मा अत्रि के वंश का वर्णन , ययाति चरित्र , यदु वंश का वर्णन , परशुराम चरित , सगर की उत्पत्ति , भार्गव का चरित्र , कार्तवीर्य वध की कथा , कृष्णावतार वर्णन ,

शुक्राचार्य कृत इन्द्र का पवित्र स्तोत्र , विष्णु माहात्म्य , कलियुग में होने वाले राजाओं का चरित्र

उपसंहारपाद – वैवस्वत मन्वन्तर की कथा , भविष्य में होने वाले मनुओं का चरित्र , चौदह भुवनों का वर्णन , प्राकृत प्रलय का प्रतिपादन , शिवलोक का वर्णन , परब्रह्म परमात्मा के स्वरुप का प्रतिपादन

43 thoughts on “18 पुराणों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय”

    • Comment के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद हिमांशु जी। 🙏

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  1. आभारी हूँ आपका सम्पादक महोदय ,
    ब्राहम्ण होते हुए भी मुझे अपने धर्म के बारे मे बहुत कम जानकारी है आज पहली बार प्रेरणा
    और स्रोत मिला है कोशिश करुंगा नियमित पाटक बना रहूँ

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    • जी नहीं, दोनों अलग हैं। अठारह पुराणों में पाँचवाँ पुराण भागवत है या देवी भागवत इस विषय में विद्वान एकमत नहीं हैं।

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  2. सही कहा गया है ‘लाइफ इज शॉर्ट एंड आर्ट इज लोंग’ ज्ञान की सीमा अपरंपार है. आपका प्रयास निसंदेह प्रशंसनीय है लाभार्थी इसका अवश्य ही लाभ लेंगे आपको बहुत-बहुत साधुवाद.

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    • Ha bahut hi laabhprad aur aavashyak h ye jaankaari aaj ke kaliyug me insaan evam Satya sanatan dharm ke raksha k liye 🙏🕉️

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    • वायु पुराण में वायुदेव ( पवन देवता ) ने श्वेतकल्प के प्रसंग से धर्मों का उपदेश किया है इसलिए इसे वायु पुराण कहा गया है। चूँकि वायु पुराण में भगवान शिव की कथाओं का ही विशेष रूप से वर्णन है इसलिए अन्य मान्यताओं से इसे शिव पुराण भी कहा जाता है।

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  3. Sir ham padh skte hai kya in Sabhi purano Ko aur agr padh skte hai toh hame konse lekhak ki sbhi puran padhni chahiye..?

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  4. आपके द्वारा दी गयी ज्ञान वर्दक जानकारी से मेरे जीवन मे बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है, आपके द्वारा प्रस्तुत जानकारी से मैने एक एक करके सब पुराण का श्रवण सुरु कियाहै। आपका बहुत बहुत आभार , साधुवाद।🙏🙏🌹

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    • आपके जीवन में परिवर्तन हुआ इसका मतलब हमारा प्रयास सफल हो रहा है। Comment के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏

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  5. बहुत बहुत साधुवाद, आप पोस्ट के चलते इन ग्रंथों/वेदों के नाम श्रावण करने का सौभग्य मिला, पुनः धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏

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  6. प्रिय संपादक जी
    आशा है कि आप भविष्य में भी इस तरह की ज्ञान वर्धक प्रेरणाएं देते रहें गे ।
    🙏🙏 धन्यवाद 🙏🙏

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  7. Sir aapka bahut bahut dhanyawad is jaankari ke liye. Bhagwan Shiv ji Pooja ke baare me vishesh roop se kis puran me likha hai? Pls batayiye

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